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ट्रस्ट की नियमावली

  1. ट्रस्ट का नाम महर्षि विश्वकर्मा सेल्फ केयर ट्रस्ट सहारनपुर (उ०प्र०)
  2. ट्रस्ट के कार्यालय का पता- 2बी/1437/ए/आयकर भवन के सामने कोर्ट रोड, सहारनपुर वर्तमान कार्यालय ट्रस्ट की सम्पत्ति नहीं है।
  3. ट्रस्ट का कार्यक्षेत्र- सम्पूर्ण भारतवर्ष होगा।
  4. सदस्यता- जो व्यक्ति जिसकी आयु 30 वर्ष से 50 वर्ष के बीच होगी एवं ट्रस्ट के उद्देश्य व नियमावली में आस्था रखता हो यह ट्रस्ट का सदस्य होगा।

    (क) ट्रस्ट के सदस्य हेतु ट्रस्ट की वेबसाईट पर सदस्यता सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारी निर्धारित फार्म में भरकर रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक होगा।
    (ख) ट्रस्ट के सहयोगी सदस्य बनने के लिए प्रेरितकर्ता ट्रस्टी से सहमति लेना आवश्यक होगा।
    (ग) ट्रस्ट के पंजीयन से 45 दिन के अन्दर बनने वाले सदस्यों पर उम्र एवं 4 वर्ष सहयोग देने की बाध्यता नहीं होगी।
    सदस्यता: 6-10-2024 की कार्य कारिणी की आग बैठक के प्रस्ताव के अनुसार नियम 4 के बिन्दु (ग) में 45 दिन के स्थान पर समय अवधि बढ़ाकर 31-10-2024 मानी जाये [संशोधित नियम स्थापना दिवस से लागू होगा]
    (घ) यदि कोई सहयोगी ट्रस्ट द्वारा सहयोग हेतु सूचना प्रसारित करने के उपरान्त लगातार 6 पात्र सदस्यों को सहयोग राशि नहीं भेजता तब उस दशा में सदस्यता स्वतः समाप्त हो जायेगी और यदि पुनः सदस्य बनने हेतु आवेदन करता है तब उसके द्वारा पिछले छूटे सभी सहयोग जिन्हें देने में वह असफल रहा था उनकी पूर्ति करने के बाद उसकी सदस्यता पुनः बहाल किये जाने पर विचार किया जायेगा।
    (ङ) सहयोग लेने से पहले नियम नं० 'घ' की पुनरावृत्ति दो बार से अधिक होनेपर उसकी पुरानी सदस्यता समाप्त हो जायेगी तथा सदस्य बनने के लिए दोबारा रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा।
    (च) 4 वर्ष से निरन्तर सहयोग करने वाले सहयोगी पर उपरोक्त (नियम-घ) लागू नहीं होगा।
    (छ) पहला सहयोग 4 वर्ष पर लेने के पश्चात अगले 4 वर्ष तक ट्रस्ट का निरन्तर सहयोगी बने रहना आवश्यक है तथा दूसरा सहयोग प्राप्त करने के लिए अगले 8 वर्ष तक ट्रस्ट का निरन्तर सहयोगी बने रहना अनिवार्य होगा।

  5. ट्रस्टीज की ट्रस्टीशिप की समाप्ति-
    1. मृत्यु होने पर
    2. दिवालिया हो जाने पर
    3. पागल हो जाने पर
    4. किसी न्यायालय द्वारा कठोर कारावास से दण्डित किये जाने पर
    5. स्वयं त्याग पत्र देने पर
    6. ट्रस्ट के उद्देश्यों के विपरीत कार्य करने पर
  6. प्रस्ट का वित्तीय वर्ष- प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को समाप्त होगा।
  7. प्रस्ट के अंग-

    (अ) द्रस्ट बोर्ड
    (ब) ट्रस्ट की प्रबन्धकारिणी
    (अ) द्रस्ट बोर्ड - ट्रस्ट का एक ट्रस्ट बोर्ड होगा जिसमें सभी प्रकार के संस्थापक ट्रस्टीज शामिल रहेंगे। वर्तमान में दस्ट बोर्ड की संख्या-11 है। जिसकी संख्या कभी भी संस्थापक अध्यक्ष एवं संस्थापक ट्रस्टीज की सहमति द्वारा बढ़ायी जा सकती है।
    (ब) द्रस्ट बोर्ड के अधिकार एवं कर्तव्य-
    1. आय-व्यय का वार्षिक लेखा जोखा तैयार करना।
    2. किसी ट्रस्टी की मृत्यु हो जाने पर व अन्य ट्रस्टी की नियुक्ति का अधिकार जिसमें संस्थापक अध्यक्ष की सहमति आवश्यक होगी।
    3. ट्रस्ट के उद्देश्यों के विपरीत कार्य करने पर किसी भी ट्रस्टी एवं संस्थापक अध्यक्ष के विरुद्ध कार्यवाही करना। यदि आवश्यक हो तो उसे संस्थापक ट्रस्टीज के बहुमत के आधार पर हटाया जा सकेगा।
    4. ट्रस्ट की उन्नति हेतु समयानुसार ट्रस्ट के नियमों में 2/3 बहुमत से संशोधन किया जा सकेगा।
    5. अन्य वह कार्य करना जो समयानुसार ट्रस्ट के विकास हेतु आवश्यक हो।
    6. समस्त संस्थाओं के प्रबन्धन एवं संचालन का दायित्व संस्थापक ट्रस्टियों का होगा।

ट्रस्ट बोर्ड की मीटिंग

ट्रस्ट बोर्ड की वार्षिक मीटिंग वर्ष में केवल एक बार होगी तथा आवश्यकता के अनुसार विशेष मीटिंग कभी भी बुलायी जा सकती है। साधारण मीटिंग की सूचना 10 दिन पूर्व पंजीकृत डाक, समाचार पत्र या व्यक्तिगत रूप से या संचार माध्यम से दी जायेगी तथा विशेष बैठक की सूचना तीन दिन पूर्व फोन या व्यक्तिगत रूप से दी जायेगी।

ट्रस्ट की प्रवन्धकार्यकारिणी

प्रबन्धकार्यकारिणी का गठन ट्रस्ट बोर्ड द्वारा किया जायेगा एक संस्थापक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष, एक सचिव, एक सहसचिव, एक कोषाध्यक्ष तथा 5 ट्रस्टीज होंगे। प्रबन्धकार्यकारिणी की वर्ष में 3 बैठक होंगी। विशेष बैठक कभी भी बुलायी जा सकती है। सामान्य बैठक के लिए सूचना 8 दिन पूर्व पंजीकृत डाक, व्यक्तिगत रूप से या मोबाईल फोन से दी जायेगी तथा विशेष बैठक के लिए सूचना 3 दिन पूर्व व्यक्तिगत रूप से या मोबाईल फोन से दी जायेगी। ट्रस्ट की प्रबन्धकार्यकारिणी के अधिकार एवं कर्तव्य :-

  1. ट्रस्ट बोर्ड के निर्देशानुसार कार्य करना।
  2. ट्रस्ट की उन्नति एवं विकास के लिए चल-अचल सम्पत्ति का क्रय-विक्रय ट्रस्ट बोर्ड के निर्देशानुसार करना।
  3. वार्षिक बजट पास कराने हेतु ट्रस्ट की बैठक के सम्मुख प्रस्तुत करना तथा आगामी बचत का ब्यौरा प्रस्तुत करना।
  4. अन्य वह कार्य करना जो ट्रस्ट हितार्थ समयानुसार आवश्यक हो।
ट्रस्ट के पदाधिकारियों के अधिकार एवं कर्तव्य :-
  1. संस्थापक अध्यक्ष :-
    1. ट्रस्ट की प्रबन्ध कार्यकारिणी सभा एवं आम सभा की बैठकों की अध्यक्षता करना एवं मीटिंग बुलाना एवं स्थगित करना।
    2. ट्रस्ट के हितार्थ कोई भी कार्य जो प्रबन्ध कार्यकारिणी या आमसभा से स्वीकृति हो को करवाना
    3. ट्रस्ट की आम देखभाल करना अनुशासन समिति गठित करना।
    4. प्रबन्ध कार्यकारिणी सदस्यता हिताधिकारी सदस्य ट्रस्ट के हितो के विरूद्ध ऐसा कोई कार्य करते हैं जिसके कारण ट्रस्ट की छवि धूमलि होती है या संगठन पर प्रतिकूल प्रभाव पडता हो उस दशा में अध्यक्ष को विशेषाधिकार प्राप्त होगा कि प्रबन्ध कार्यकारिणी के किसी भी सदस्य या सहयोगी सदस्य को पदमुक्त कर उसकी सदस्यता समाप्त कर सकता है परन्तु इस निर्णय की पुष्टि 3 माह क अन्दर प्रबन्ध कार्यकारिणी से करानी होगी।
  2. उपाध्यक्ष :-
    1. अध्यक्ष की अनुपस्थिति में या अध्यक्ष का पद रिक्त होने की दशा में ट्रस्ट की अध्यक्षता करना एवं अध्यक्ष के समस्त कार्य करना एवं अध्यक्ष के निर्देशानुसार दी गयी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना।
  3. सचिव :
    1. ट्रस्ट की आवश्यकतानुसार अध्यक्ष की अनुमति से आम सभा या प्रबन्ध कार्यकारिणी की बैठक बुलाना एवं उसकी कार्यवाही लिखना तथा आगामी बैठक में कार्यवाही में स्वीकार कराना।
    2. ट्रस्ट से सम्बन्धित हिसाब किताब समस्त कागजात एवं दस्तावेज तैयार करना एवं सुरक्षित रखना और चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट द्वारा हिसाब किताब का आडिट करवाना तथा आडिट रिपोर्ट प्रबन्ध कार्यकारिणी के समक्ष प्रस्तुत करना। उसके अतिरिक्त ट्रस्ट से सम्बन्धित विलेखों को अध्यक्ष की सहमति से सुरक्षित रखना।
    3. ट्रस्ट के कार्यों को चलाने हेतु प्रबन्ध कार्यकारिणी की स्वीकृति के पश्चात कर्मचारियों की नियुक्ति करना उनके सेवानियमों को बनाना उनके कार्यों की देखभाल करना उन पर निर्णय लेकर कार्यवाही करना एवं सेवामुक्ति तथा वेतन वृद्धि करना।
    4. ट्रस्ट की पूंजी को प्रबन्ध कार्यकारिणी द्वारा स्वीकृति किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में रखना तथा समस्त वाऊचरों पर सम्बन्धित कार्यवाही करना तथा धनराशि अदायगी करना।
    5. ट्रस्ट के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु एवं अन्य कार्यों के सम्बन्ध में अंकन 5000/- रूपये की अनुमति देना अर्थात एक समय में 5000/- रूपये ट्रस्ट के कार्यों में खर्च किया जा सकता है तथा आकस्मिक धन के रूप में 5000/- रूपये तक नकद रखने का अधिकार होगा।
  4. सह-सचिव :-
    1. सचिव के कार्यों में सहयोग करना तथा उनके निर्देशानुसार कार्य करना।
  5. कोषाध्यक्ष :-
    1. ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं सचिव द्वारा सौंपे गये वित्तीय कार्यों को मूर्त रूप देना।
    2. ट्रस्ट के सचिव के साथ बैंक खाते का संचालन करना तथा बैंक में धनराशि जमा करना एवं समस्त वित्तीय कार्यों का हिसाब किताब रखना, वाऊचर आदि बनाना।
  6. कोरम :-
    1. ट्रस्ट के कुल ट्रस्टीज का 2/3 होगा।
  7. संशोधन :-
    1. कुल ट्रस्टीज का 2/3 उपस्थित बहुमत से ट्रस्ट के नियमों में संशोधन किया जा सकेगा।

पंच-पंचाट (आर्बिट्रेटर)

ट्रस्ट से सम्बन्धित सभी प्रकार के विवाद पंचाट द्वारा निर्णित किये जायेंगे। ट्रस्टी मण्डल में से 3 ट्रस्टियों का पंच तय होगा। निर्णय प्रत्येक पक्ष पर बाध्य होगा जो कि अंतिम होगा।

कानूनी कार्यवाही :-

ट्रस्ट द्वारा अथवा ट्रस्ट के विरूद्ध अदालती कार्यवाही के संचालन का उत्तरदायित्व मुख्य ट्रस्टी (संस्थापक अध्यक्ष) के द्वारा नामित व्यक्ति या अधिवक्ता द्वारा सम्पन्न कराया जायेगा तथा किसी भी प्रकार के वाद-विवाद का क्षेत्राधिकार सहारनपुर होगा। सहारनपुर से बाहर किसी भी प्रकार की कार्यवाही का क्षेत्राधिकार नहीं होगा।

व्यवस्था शुल्क :-

ट्रस्ट के कार्यालय संचालन हेतु जिसमें कर्मचारियो का वेतन फर्नीचर स्टेशनरी व वेबसाईट सामुहिक बीमा आदि के खर्चों हेतु ट्रस्ट की प्रबन्धकार्यकारिणी समय-समय पर व्यवस्था शुल्क के रूप में तय धनराशि ट्रस्ट से जुडने वाले सभी प्रकार के सदस्यों से लेगी जो सभी को जमा करनी अनिवार्य होगी।

सहयोग राशि :-

  1. सहयोग राशि सीधे लाभार्थी सदस्य के बैंक खाते में अन्तरित की जायेगी। कोई भी सहयोग नकद मान्य नहीं होगी।
  2. ट्रस्ट के किसी भी सहयोगी सदस्य की सहयोग प्राप्त करने से पूर्व मृत्यु हो जाने पर सहयोग किसी एक शादी में कन्यादान/शगुन के रूप में ट्रस्ट के सहयोगियों द्वारा सहयोग किया जायेगा।
  3. सहयोग राशि बढ़ाने या घटाने या किसी बिन्दु पर विवाद होने की दशा में निर्णय का अधिकार ट्रस्ट की मुख्य कार्यकारिणी का होगा। ट्रस्ट सहयोग राशि में परिस्थितियों अनुसार बढोत्तरी करेगा।
  4. ट्रस्ट ऐसे सदस्यों की सूची भी जारी करेगा जो ट्रस्ट में केवल सहयोग देना चाहते हैं और ट्रस्ट से किसी सहयोग की अपेक्षा नहीं करते है।
  5. यदि कोई ट्रस्टी ट्रस्ट की सदस्यता छोडना चाहता है तो उसके लिए यह शर्त अनिवार्य होगी कि जो सहयोग राशि ट्रस्ट के माध्यम से उस सदस्य ने प्राप्त की है उस (सदस्य द्वारा प्राप्त की गई धनराशि व देय धनराशि का अन्तर) धनराशि को वह ट्रस्ट के खाते में वापस करेगा। यदि कोई सदस्य शादी में सहयोग लेने से पहले कन्यादान/शगुन के रूप में दिया गया दान ट्रस्ट छोडने की दशा में वापस लेने का अधिकारी नहीं होगा तथा किसी भी प्रकार कोई दावा प्रस्तुत नहीं करेगा।
  6. कोई भी ट्रस्टी, ट्रस्ट की कमेटी पर या सदस्यों पर बराबर अनुपात अनुपात में सहयोग लेने के लिए ना तो कोई दबाव बनायेगा और ना ही कोई कानूनी कार्यवाही करेगा बल्कि ट्रस्ट की कमेटी सभी सदस्यों पर एक समान अनुपात में सहयोग करने के लिए नैतिक दबाव बनायेगी।
  7. ट्रस्ट ऐसे सदसयों की काली सूची भी जारी करेगा जो ट्रस्ट से सहयोग लेने के बाद सहयोग देने से मना कर देगा।
  8. ट्रस्ट का कोई भी सहयोगी सदस्य 4 वर्ष तक कन्यादान या शगुन के रूप में सहयोग देने के उपरान्त ही कन्यादान या शगुन के रूप में सहयोग प्राप्त करने का पात्र होगा।

ट्रस्ट का कोष :-

ट्रस्ट का कोष किसी राष्ट्रीयकृत बैंक, सहकारी बैंक, डाक घर प्राईवेट लिमिटेड बैंक में खाता खोल कर रखा जायेगा और खाता अध्यक्ष, सचिव तथा कोषाध्यक्ष के पदनाम से खोला जायेगा तथा खाते का संचालन इनमें से किन्हीं दो खाताधारकों के संयुक्त हस्ताक्षरों के द्वारा किया जायेगा।

अभिलेख :-

एजेन्डा रजिस्टर, कार्यवाही रजिस्टर, ट्रस्टीशिप रजिस्टर, कैशबुक, रसीद बुक व अन्य आवश्यक कागजात।

ट्रस्ट का विघटन :-

भविष्य में यदि उक्त ट्रस्ट समाप्त होता है तो ऐसी दशा में सभी ट्रस्टी मिलकर एक मीटिंग में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करके किसी भी एक ट्रस्टी को उक्त ट्रस्ट द्वारा अर्जित की गयी सम्पत्तियों को विक्रय आदि करने के लिए नियुक्त कर सकते हैं। उस ट्रस्टी को पूर्णतया अन्तरणीय अधिकार प्राप्त होंगे या ट्रस्ट का विघटन विशेष परिस्थितियों में ट्रस्ट बोर्ड के निर्णय पर भारतीय ट्रस्ट अधिनियम के प्राविधानों के अनुसार होगा।

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